Navratra puja vidhi For house&o office thatha kalas sthapana
नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्र में कलश स्थापना करके पूजन करने का बहुत अधिक महत्व है नवरात्रि में प्रतिपदा को कलश स्थापना की जाती है ।
तथा नवमी को विसर्जन किया जाता है, सभी भक्तों अपनी-अपनी मनोकामना सिद्धि के लिए घर तथा कारोबार में सुख समृद्धि धन धान्य ऐश्वर्य आदि की प्राप्ति के लिए नवरात्र में श्रद्धा पूर्वक मां दुर्गा का पूजन अर्चन करते हैं ।
तथा मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना करते हैं
तथा नवमी को विसर्जन किया जाता है, सभी भक्तों अपनी-अपनी मनोकामना सिद्धि के लिए घर तथा कारोबार में सुख समृद्धि धन धान्य ऐश्वर्य आदि की प्राप्ति के लिए नवरात्र में श्रद्धा पूर्वक मां दुर्गा का पूजन अर्चन करते हैं ।
तथा मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना करते हैं
कलश स्थापना के लिए आवश्यक सामग्री
1.एक मिट्टी का कलश
2.एक मिट्टी का पात्र
3.मिट्टी की सराय वह दीपक
4.शुद्ध साफ की हुई मिट्टी जिसमें पत्थर कंकर आदि नहीं हो
5.मौली या कलावा
6.रोली
7.इलायची
8.चांदी का सिक्का
9रुई माचिस
10.मां दुर्गा का चित्र या मूर्ति
2.एक मिट्टी का पात्र
3.मिट्टी की सराय वह दीपक
4.शुद्ध साफ की हुई मिट्टी जिसमें पत्थर कंकर आदि नहीं हो
5.मौली या कलावा
6.रोली
7.इलायची
8.चांदी का सिक्का
9रुई माचिस
10.मां दुर्गा का चित्र या मूर्ति
11.अशोक या आम के पत्ते
12.कलश को ढकने के लिए मिट्टी का ढक्कन
13 .साबुत चावल
14. एक पानी का नारियल
15.साबुत सुपारी
16.कलश में रखने के लिए सिक्के
17.लाल या पीला कपड़ा
18.एक माताजी की चुनरी
19.मिठाई
20.लाल गुलाब के फूलों की माला
21. एक चौकी
12.कलश को ढकने के लिए मिट्टी का ढक्कन
13 .साबुत चावल
14. एक पानी का नारियल
15.साबुत सुपारी
16.कलश में रखने के लिए सिक्के
17.लाल या पीला कपड़ा
18.एक माताजी की चुनरी
19.मिठाई
20.लाल गुलाब के फूलों की माला
21. एक चौकी
तो आइए जानते हैं कलश स्थापना किस प्रकार की जाए
1.:-कलश स्थापना के लिए साधक को स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करनी चाहिए वह वस्त्र लाल या पीले हो तो बहुत ही शुभ होंगे।
2.:-तथा इसके पश्चात मंदिर या घर या फैक्ट्री मैं जहां भी साधक नवरात्रि कलश स्थापना करता है ।वहां पूर्व दिशा में या ईशान कोण में लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र या पीला वस्त्र बिछाकर उसके ऊपर मां दुर्गा का चित्र या मूर्ति स्थापित करना चाहिए।
3:-.तथा फिर जौ बोनेे के लिए एक मिट्टी के पात्र में स्वच्छ मिट्टी भरकर उसमें जौ डालकर उसे हल्का सा मिलाकर पानी का छिड़काव कर दें।
4:-फिर उस पर मिट्टी का कलश स्थापित कर दें कलश में गंगाजल या गंगा जल मिश्रित जल भरदे तथा फिर कलश में रोली थोड़ा सा मीठा एक चांदी का सिक्का थोड़े से चावल डाल दे।
5:-फिर उस पर आम के पत्ते या अशोक के पत्ते लगाकर ढक्कन से ढक दें ढक्कन में चावल भर दे तथा फिर एक नारियल ले नारियल पर लाल कपड़ा या कलावा लपेटकर कलश पर रख दें तथा कलश के भी कलावा बांधने कलश पर स्वास्तिक बना दे।
6:-कलश पर रखे जाने वाले नारियल का मुंह आपकी तरफ होना चाहिए तथा नौक वाला हिस्सा दूसरी तरफ होना चाहिए।
7:-नारियल का मुंह नीचे की तरफ रखने से शत्रु वृद्धि होती है ।तथा ऊपर की तरफ रखने से रोग बढ़ते हैं ।तथा पूर्व की ओर रखने से धन हानि होती है । अतः नारियल का मुख साधक की तरफ ही होना चाहिए
8:-इसके पश्चात दीपक प्रज्वलित करें दीपक 9 दिन तक अखंड भी रख सकते हैं ।साधक या फिर अपनी सुविधा के अनुसार भी रख सकते हैं ।वैसे तो नवरात्रि में अखंड दीपक ही रखना चाहिए ।
9:-इसके पश्चात कलश में असंख्यात रूद्र देवताओं का आवाहन करना चाहिए तथा भगवान गणेश जी रिद्धि सिद्धि शुभ लाभ षोडश मातृका सप्तघृत मातृका नवग्रह देवता कुल पितृ देवता ब्रह्मा जी पंच लोकपाल देवता कुलदेवी कुलदेवता तथा आपके इष्ट का स्मरण करें उनका पूजन करें उनका आवाहन करें तत्पश्चात मां दुर्गा का आवाहन करें उनसे प्रार्थना करें कि हे मां दुर्गा आइए आप हमारे यहां करें विराजमान हुई है और हमारे पर कृपा करें
10:-आवाहन करने के पश्चात मां दुर्गा के चित्र या मूर्ति को स्नान कराएं वस्त्र वस्त्र अर्पण करें रोली का तिलक करें अक्षत तथा चित्र या मूर्ति को गुलाब की माला अर्पण करें तथा मिठाई का पंचमेवा का भोग लगाएं लौंग इलायची आदि चढ़ाएं तथा मां को अनार का फल का भोग लगाएं
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11:-भोग लगाने के पश्चात फिर आरती करें यह कार्य नव दिवस तक रोज करें तथा नौवें दिन नौ कन्या तथा एक बालक को भोजन कराकर कलश का जल घर में छिड़क दें तथा कुछ उगे हुए जौ को तिजोरी मे रखले
तथा अन्य को जल मैं विसर्जन करदें।
तथा अन्य को जल मैं विसर्जन करदें।
Very good
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