Monday 10 July 2017

शनि पर्वत पर x का चिन्ह


                 शनि पर्वत पर x का चिन्ह


1.यदि शनि पर्वत पर एक्स का चिन्ह हो तो जातक बीमारी से जूझ ता है तथा दुर्भाग्य उसका साथ नहीं छोड़ता है तथा दुर्घटना का शिकार भी हो सकता है साथ ही ऐसे जातकों में शनि क्षेत्र की समस्त बुराइयां भी पाई जाती हैं


2.यदि x का चिन्ह शनि पर्वत के मध्य भाग में हो तो ऐसे जातक धर्मांध होते हैं निम्नकोटि के तांत्रिक होते हैं यह व्यक्ति निम्नकोटि के तांत्रिक प्रयोग करते हैं तथा निराशाजनक इनका व्यवहार होता है यह जन शत्रु भी होते हैं 


3.यदि x का चिन्ह भाग्य रेखा से मेल करता हूं संयोग करता हो तो ऐसे जातक दुर्घटना में आकस्मिक मृत्यु के शिकार होते हैं

4. यदि शनि क्षेत्र पर एक्स का चिन्ह हो साथ ही साथ शुक्र क्षेत्र में उन्नति नहीं हो तथा छोटा भी हो तथा संतान रेखा भी स्पष्ट हो तो ऐसे जातक के संतानहीनता के योग बनते हैं

X sign on sun mount X का चिन्ह सूर्य पर्वत पर

x sign on sun mount 
सूर्य पर्वत पर x  का चिन्ह

https://www.youtube.com/watch?v=MBqbPmKZjSs&t=2s



1.यदि सूर्य पर्वत पर एक्स का चिन्ह हो तथा साथ में खड़ी रेखा हो तो जातक धनवान होता है तथा लोभी भी होता है



2. यदि सूर्य क्षेत्र पर एक्स का चिन्ह हो तो जातक का धन जुए सट्टे आदि में बर्बाद हो जाता है तथा स्वयं की गलतियों के कारण बहुत नुकसान उठाना पड़ता है




3. यदि x का चिन्ह किसी स्त्री जातक के हाथ में हो तो ऐसी स्त्री जातक धन प्राप्त करने के लिए निंदनीय कार्य भी कर सकती है


4. यदि ऐसी स्त्री जातक सुंदर भी हो तो उसके प्रेम जाल से बचना चाहिए


5. परंतु यदि सूर्य रेखा निर्दोष को तथा उत्तम हो सरल हो स्पष्ट हो एवं सूर्य पर्वत पर स्थित टैक्स का चिन्ह उस रेखा से संयोग करता हो तो जातक धार्मिक प्रवृत्ति का तथा सफलता पाने वाला होता है यदि सूर्य रेखा दोष युक्त हो तो यह चिन्ह जातक को धर्मात्मा बनाता है

।। शनि पर्वत पर X के चिन्ह का रहस्य ।। hast rekha gaya in hindi

Tuesday 20 June 2017

Remove Negative Energy of House by SALT|| नमक से दूर करें घर की नकारात्मक उर्जा ||

 Remove Negative Energy of House by SALT  
नमक से दूर करें घर की नकारात्मक उर्जा 
Salt



तो नमक का उपयोग खाने में किया जाता है किंतु नमक के कुछ उपयोगों के द्वारा हम घर की नेगेटिविटी को दूर कर सकते हैं नकारात्मक ऊर्जा को दूर भगा सकते हैं
नमक के द्वारा घर में बरकत होती है और सुख-समृद्धि का वास होता है नमक का गिरना अच्छा नहीं माना जाता है इससे घर में अपशगुन होने के संकेत प्राप्त होते हैं

तो आईए जानते हैं नमक के कुछ उपयोगों के बारे में


1.एक कांच के गिलास में पानी में नमक डालकर उसे मिला लें और उस गिलास को घर के नृत्य कोण में अर्थात दक्षिण पश्चिम कोने में रख दें और एक लाल रंग का बल्ब उस कोने में लगा दें जब भी पानी सूखे तो गिलास को साफ करके उन्हें वैसे ही नमक जल मिश्रित पानी भरकर रख दें इससे घर में धन का प्रभाव बना रहेगा

>: नमक में अद्भुत शक्ति होती है यह सभी प्रकार की नेगेटिव एनर्जी के कुप्रभाव को नष्ट कर देता है यह घर की दरिद्रता को नाश कर के घर में लक्ष्मी के आगमन के दरवाजे खोल देता है यह घर में पॉजिटिव एनर्जी प्रदान करता है जिससे हमारा मन कार्य करने में लगा रहता है यह असफलताओं को दूर कर सफलता प्रदान करता है

2.एक कांच की कटोरी में समुद्री नमक भरें और उस कटोरी को बाथरूम में रख दें इससे आपके घर की नेगेटिव एनर्जी दूर होगी तथा घर में सुख समृद्धि बनी रहेगी


3.घर में पोछा लगाते समय पानी में थोड़ा-सा साबुत नमक मिला लेना चाहिए इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होकर सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित होती है तथा घर की पवित्रता बनी रहती है

4.नहाने वाले पानी में एक चुटकी नमक डालकर उसे मिला लें तथा उस पानी से नहाए जिससे वह जातक बुरी नजर से बचा रहे तथा वह नमक   जातक को सकारात्मक उर्जा प्रदान करता है जिससे वह जाता है सारे दिन उर्जावान बना रहता है जिससे उसे किसी प्रकार की हानि नहीं होती है दोस्तों साइंस की नजर में भी नमक के पानी से नहाना लाभकारी बताया गया है

5.एक कटोरी में नमक डालकर घर के किसी भी कोने में रख दें दें यह प्रयोग करने से घर में स्थित नकारात्मक उर्जा का नाश होकर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है

 6.डली वाले नमक को लाल वस्त्र में बांधकर पोटली बना लें तथा उस पोटली को घर के मुख्य द्वार पर लटका दें दें यह प्रयोग करने से नकारात्मक उर्जा घर में प्रवेश नहीं करती है यही उपाय आप अपने व्यापार स्थान पर भी कर सकते हैं अपने व्यापार में वृद्धि करने के लिए ऑफिस के मुख्य द्वार पर नमक की पोटली बांधने से लाभ प्राप्त होता है

7.नमक के पानी से हाथ और पांव धोने से थकान दूर होती है तथा चिंताएं नष्ट हो जाती है

Sunday 18 June 2017

फेंगशुई के कुछ उपाय

फेंगशुई के कुछ  उपाय



दोस्तों फेंगशुई का यथार्थ मतलब है वायु तथा जल और फेंगशुई के बारे में बहुत खुशी ज्ञान रखते होंगे दोस्तों परंतु फेंगशुई से हमें क्या क्या लाभ हो सकते हैं और उसके क्या उपाय करने से हमें क्या लाभ हो सकते हैं उसके बारे में मैं मेरे इस पोस्ट में बताना चाहूंगा इसके क्या लाभ हो सकते हैं इसकी जानकारी कम ही लोगों को होगी इसके लिए मैं इस पोस्ट में आप लोगों को यह उपाय बताने जा रहा हूं इन छोटे-छोटे उपायों को करने से आप अपने घर के वास्तु को सही कर सकते हैं वास्तु को अनुकूल कर सकते हैं तथा आर्थिक व मानसिक सुख का लाभ ले सकते हैं



1. फेंगशुई में सर्वप्रथम यह ध्यान दिया जाता है कि आप जिस मकान में निवास कर रहे हैं उस मकान की किस प्रकार की बाधाएं हैं जिसके को प्रभाव से आप लोगों को कष्ट प्राप्त हो रहा है उसको प्रभाव को दूर करने के लिए फेंगशुई के उपाय किए जाते हैं आपके घर में प्रवेश करने वाली "ची "को उसकी सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाया जाता है उसमें बाधा डालने वाले दोषों को दूर किया जाता है
वह बाद में निम्न हो सकती है

(1) आपके घर के मुख्य द्वार के सामने कोई पेड़ होना
(2) क्या खंबा होना
(3) या किसी मकान का होना होना
(4) किसी ऊंची बिल्डिंग की छाया आपके घर के मुख्य द्वार पर पडना
(5) घर के मुख्य द्वार के सामने गंदे पानी का जमाव अथवा गंदगी का ढेर होना
मुख्य द्वार के सामने इस प्रकार की कोई भी वादा नहीं होनी चाहिए यह बताएं फेंगशुई के अनुसार बहुत बड़ा दोस्त मानी गई है फेंगशुई की भाषा में इसे द्वार वेद भी कहा गया है
इसके निवारण के लिए घर के मुख्य द्वार पर पाकुआ ग्लास लगाएं जिससे आपके घर में प्रवेश होने वाली नकारात्मक उर्जा दूर हो नकारात्मक ऊर्जा सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित हो इस ग्लास के प्रभाव से नकारात्मक ऊर्जा इस ग्लास पर पढ़ कर वापस हो जाएगी


2. आप के मुख्य द्वार के ऊपर यथा संभव हो सके काले एवं लाल रंग का उपयोग नहीं करें काला रंग दुखा और लाल रंग क्रोध का सूचित होता है इसलिए आप अपने मुख्य द्वार के ऊपर इन दोनों ही रंगों का उपयोग नहीं करें अपने मुख्य द्वार के ऊपर सफेद पीला रंग लगवाएं सफेद शांति का प्रतीक माना गया है तथा पीले रंग को धन का प्रतीक माना गया है


3. घर में लंबा गलियारा नहीं होना चाहिए इससे घर में नकारात्मक उर्जा का प्रवेश होता है इसे नकारात्मक उर्जा के प्रभाव से बचने के लिए गलियारे के अंत में एक दर्पण स्थापित करना चाहिए

4. घर के मुख्य द्वार के सामने खंभा या पेड़ नहीं होना चाहिए यदि आप के मुख्य द्वार के सामने खंभा या पेड़ है तो मुख्य द्वार पर दर्पण लगा देना चाहिए और उस पेड़ अथवा खंबे पर प्राकृतिक बेल लपेट देनी चाहिए जिससे आपके घर में नकारात्मक उर्जा का प्रवेश नहीं हो

5. मुख्य द्वार की चौखट पर काले घोड़े की नाल लगा देनी चाहिए यह आपके घर का द्वार वायव्य और पश्चिम दिशा में ना हो यदि आपके घर का द्वार वायव्य पश्चिम दिशा में है तो चौखट पर काले घोड़े की नाल नहीं लगानी चाहिए


6. घर के मुख्य द्वार पर नवदुर्गा यंत्र अथवा श्री गणेश जी की तस्वीर अवश्य ही लगानी चाहिए गणेश जी की तस्वीर जिस प्रकार बाहर की ओर लगाइए उसी प्रकार अंदर की ओर भी लगानी चाहिए क्योंकि श्री गणेश जी के नेत्रों में समृद्धि का वास होता है तथा पीठ में दरिद्रता का वास होता है इसीलिए  उस स्थान में श्री गणेश जी की तस्वीर लगानी चाहिए


7. आपके घर का मुख्य द्वार आपके घर के पिछले द्वार से बड़ा होना चाहिए तथा दोनों ही एक सीध में नहीं होने चाहिए अन्यथा जी अर्थात सकारात्मक ऊर्जा मुख्य द्वार में प्रवेश करती हुई पिछले द्वार से बाहर निकल जाएगी


8. आपके घर में जितने भी दरवाजे हूं वह सभी दरवाजे अंदर की तरफ ही खुलने चाहिए तथा दरवाजा खोलते तथा बंद करते समय किसी भी प्रकार की कर्कश आवाज नहीं आनी चाहिए यह आवाज फेंगशुई में बहुत ही शुभ मानी गई है




:यदि आप लोगों को फेंगशुई के बारे में मेरा यह लेख अच्छा लगा तो कमेंट कीजिए तथा ज्योतिष शास्त्र से संबंधित अन्य भी आपके प्रश्न मुझे आप मेरे हिस्से में ब्लॉक पर पहुंच सकते हैं तथा मेरे YouTube चैनल एस्ट्रो गार्डन पर भी ज्योतिष तथा हस्तरेखा आदि के वीडियोस देख सकते हैं

|| हस्त रेखा ज्ञान - हस्त रेखा हाथ के रंग के द्वारा भविष्य कथन || hast r...

Saturday 17 June 2017

How to read the palm हाथ देखने के नियम

How to read the palm हाथ देखने के नियम


हाथ दिखाने वाले व्यक्ति प्रातः काल स्नानादि से निवृत्त होकर ईश्वर का ध्यान करके शुद्ध मन से हंसते रेखा शास्त्री के पास जाएं और अपने हाथ का परीक्षण का करवाएं

हस्तरेखा दिखाने वाला जातक विनय श्रद्धालु तथा गुरू वचनों पर विश्वास करने वाला होना चाहिए हस्त परीक्षक जो उक्त समय गुरु के ही समान होता है उसे उचित आसन प्रदान करें तथा दत्तचित्त होकर हस्त परीक्षक की बातों को सुनें अपने मन में वाले उठने वाले सवालों सिक्का उनसे जवाब मांगे या अपना भविष्यफल उनसे जाने कुतर्क नहीं करें हस्तरेखा विद को कतर की श्रद्धा रहित नास्तिकता सत्यवादी नवजात शिशुओं पर हिंसा करने वाले हिंसक पागलों हस्तरेखा शास्त्र य हस्तरेखाओं का कुटिलता से मजाक उड़ाने वाले शराबी आधी व्यक्तियों का हाथ नहीं देखना चाहिए


संसार में प्रकृति नियमानुसार ही चलती है उसी प्रकार से हस्त रेखा विद को भी नियमानुसार ही हस्त का परीक्षण करना चाहिए सूर्य नियमानुसार पूर्व में उदित होकर दक्षिण में अस्त होता है उसी प्रकार से स्कूल कार्यालय आदि अपने समय पर खुलकर अपने समय पर ही चलते हैं


क्योंकि यदि नियम नहीं हो तो प्रकृति दोस्त हो जाती है या कार्य गड़बड़ा जाते हैं अतः हस्तरेखा विद को नियमानुसार ही हस्तरेखाओं का परीक्षण करना चाहिए


पाश्चात्य मतानुसार हंसता परीक्षक को चाहिए कि वह जातक का हाथ देखने से पहले उसके हाथ का स्पर्श नहीं करें क्योंकि ऐसा करने से परीक्षक की चुंबकीय शक्ति का जातक की चुंबकीय शक्ति शक्ति के साथ मिलकर जाने से देखा हूं अधिकार रंग बदल सकता है रंग आदि में थोड़ा बहुत बदलाव आ जाता है अतः आपको बिना स्पष्ट करेगी देखना चाहिए


1. हस्त परीक्षण के लिए उचित प्रकाश की व्यवस्था होनी चाहिए

2. सर्वप्रथम जातक के मणिबंध का निरीक्षण करना चाहिए

3. उसके पश्चात जातक के हथेली की बनावट देखनी चाहिए क्योंकि हाथों को सात प्रकार के विभागों में बांटा गया है उन 7 विभागों में से जिस विभाग का हाथ हो उस विभाग आपके हाथ का फलित कहना चाहिए चमत्कार हाथ कोमल हाथ वर्गाकार हाथ आदि

4. करतल तथा कर पृष्ठ दोनों का निरीक्षण करना चाहिए

5. तत्पश्चात जातक की उंगलियों का निरीक्षण करें उंगलियों की बनावट देखनी चाहिए उंगलियां लंबी है मोटी है या टॉप आकार है कोमल है यह सत्य है इन सभी का निरीक्षण करना चाहिए

6. तत्पश्चात जातक के अंगूठे की बनावट देखनी चाहिए जातक के अंगूठे की लंबाई मोटाई चौड़ाई आदि का निरीक्षण करें छोटे या बड़े अंगूठे का निरीक्षण करें अंगूठा किस तरफ दुख है उसका निरीक्षण करें हम उठा सकते है का टॉप आकार है

7. तत्पश्चात रेखाओं का निरीक्षण करना चाहिए रेखाओं में सर्वप्रथम जीवन रेखा का निरीक्षण निरीक्षण करना उचित माना जाता है रेखा मोटी की उपयुक्त साफ या दूरी है इसका उद्गम स्थल कहां से है यह सब का निरीक्षण करना चाहिए

8. जीवन रेखा का निरीक्षण करने के पश्चात मस्तिष्क रेखा का परीक्षण करना चाहिए मस्तिष्क रेखा का उद्गम आकार-प्रकार लंबाई रेखा का अंत कहां हो रहा है किस प्रकार से हो रहा है रेखा पर शुभ अशुभ चिन्ह है उनका निरीक्षण भी करना चाहिए

9. तत्पश्चात ह्रदय रेखा का निरीक्षण करना चाहिए उसका उद्गम उद्गम स्थान रेखा कहां खत्म हो रही है उस पर शुभ अशुभ लक्षण सभी को देखना चाहिए

10. मुख्य रेखाओं का निरीक्षण करने के पश्चात अतिरिक्त छोटी छोटी रेखाओं का देखना चाहिए चंद्र रेखा सूर्य रेखा विवाह रेखा मंगल रेखा बृहस्पति रेखा बुध रेखा सूर्य सूर्य मुद्रिका शनि मुद्रिका गुरु मुद्रिका शुक्र मुद्रिका त्रिकोण जाली चतुष्कोण मणिबंध रेखाएं हाथ पर अन्य चिन्ह धब्बे तिल आदि सभी का निरीक्षण करना चाहिए

11. जातक के हाथ में पर्वतों की स्थिति का भी निरीक्षण करना चाहिए क्योंकि पर्वतों का निरीक्षण करने के बिना हस्तरेखा में फलादेश करवाना उचित नहीं है परीक्षक को देखना चाहिए कि कौन सा ग्रह उन्नत है या कौन सा ग्रह दबा हुआ है उसकी स्थिति किस प्रकार की है

12. हस्तरेखा शास्त्री को मैग्नीफाइंग ग्लास का उपयोग करते हुए जातक के हस्त में स्थित है गोंड रेखाएं छुपी हुई रेखाओं को भी देखना चाहिए क्योंकि कुछ रेखाएं ऐसी होती है जिनको देख पाना संभव नहीं हो पाता अतः मैग्निफाइंग ग्लास का उपयोग करना चाहिए

13. मात्र एक रेखा देखकर ही निष्कर्ष नहीं निकालना चाहिए हाथ में स्थित अन्य लक्षणों को भी देखना चाहिए प्रत्येक रेखा ग्रह चिन्ह उनके लक्षण को देखना चाहिए


14. परीक्षकों जातक के दोनों ही हाथों को देखना चाहिए यदि स्त्री है क्योंकि यदि प्रथम हाथ पर लक्षण स्पष्ट नहीं दिखाई दे रहे हैं तोल इतिहास का निरीक्षण करना चाहिए

15. जो इस्त्री या पुरुष जिस हाथ से कार्य करते हैं उसी रात को देखना चाहिए

16. पुरुष का राइट हैंड तथा स्त्री का लेफ्ट एंड देखना चाहिए यदि स्त्री भी कामकाजी है तो उसका भी राइट हैंड ही देखा जाएगा

17. हस्तरेखा शास्त्री को जातक को फलित कहने से पूर्ण अपने इष्ट देव का स्मरण करते हुए ही फलित कहना चाहिए स्मरण करने से अतुल शक्ति डरता अतींद्रिय शक्तियों को ऊर्जा प्रदान होती है हस्तरेखा विद को होस्ट का परीक्षण प्रातः काल ही करना चाहिए क्योंकि प्रातः काल शरीर में रक्त संचालन तीव्रता से होता है जिससे रेखाओं हथेली आदि का रंग सुंदर है स्पष्ट रहता है प्रातः काल के पश्चात हथेली के रंग में अंतर आ जाता है कुछ सूक्ष्म रेखाएं अदृश्य हो जाती है

18. हां देखते समय मस्त परीक्षा को यह ध्यान रखना चाहिए कि हाथ के रंग उंगली अंगूठा नाखून सभी का निरीक्षण करने के पश्चात ही प्रमुख रेखाएं वह ग्रह देखने चाहिए तथा पूर्ण हाथ का निरीक्षण करने के पश्चात फलित कहना चाहिए

यह हस्तरेखा शास्त्र के हस्त परीक्षण से पूर्व के कुछ नियम हैं दोस्तों यदि यह जानकारी आप लोगों को अच्छी लगी है तो इस लिंक को शेयर करें हस्तरेखा की अन्य जानकारी के लिए आप मेरा YouTube चैनल एस्ट्रो गार्डन देख सकते हैं तथा उसको सब्सक्राइब कर सकते हैं

Friday 16 June 2017

|| गुरु पर्वत पर त्रिशूल mony power || hast rekha gyan in hindi

पर्वतों पर त्रिभुज का चिन्ह Trinagle on Mount,s

पर्वतों पर त्रिभुज का चिन्ह



परस्पर तीन रेखाओं से मिलकर एक आकृति का निर्माण होता है वह आकृति ट्रायंगल शेप में हो तो वह त्रिभुज कहलाता है 
यह अलग-अलग माउंट पर पर्वतों पर अलग-अलग प्रभाव प्रदान करता है
हस्तरेखा विज्ञान के द्वारा हथेली पर पाए जाने वाले चिन्ह वह रेखाओं के द्वारा जीवन में धन लाभ धन हानि सुख दुख शुभाशुभ कब और किस उम्र में होगा यह जाना जा सकता है
बहुत से जातकों के हाथ में त्रिभुज का चिन्ह पाया जाता है

आइए दोस्तों अलग-अलग पर्वतों पर त्रिभुज के चिन्ह के बारे में हम जानते हैं यह क्या फल प्रदान करता है और इसके बारे में हम विस्तार से जानते हैं

दोस्तों त्रिभुज का चिन्ह जितना बड़ा होगा व्यक्ति उतने ही विशाल ह्रदय वाला होता है
यदि त्रिभुज के अंदर त्रिभुज का चिन्ह हो तो ऐसे जातक उच्च पद पर आसीन होते हैं निश्चित उच्च पद प्राप्त करते हैं


1.यदि गुरु पर्वत पर त्रिभुज का चिन्ह तो क्या फल प्रदान करेगा

गुरु पर्वत पर त्रिभुज का चिन्ह जातक को संगठन तथा प्रबंधन अर्थात मैनेजमेंट में दक्ष करता है
गुरु पर्वत पर स्पष्ट त्रिभुज का चिन्ह हो तो ऐसे जातक प्रशासनिक सलाहकार एडमिनिस्ट्रेटर एडवाइजर होते हैं
गुरु पर्वत पर स्पष्ट त्रिभुज का चिन्ह जिन जातकों के होता है वह जातक नीति कुशल होते हैं राजनीतिज्ञ होते हैं तथा व्यवहार कुशल होते हैं
इनमें मैनेजमेंट के गुण अर्थात प्रबंधन की क्षमता प्रबंधन की जानकारी प्रबंधन की सूझबूझ बहुत अच्छी मात्रा में होती है
गुरु पर्वत पर स्पष्ट निर्दोष चेन्नई वाले जातक उच्च पद पर आसीन होते हैं उनका स्वभाव पॉजिटिव अर्थात सात्विक होता है यह जातक सभी के साथ में अच्छा व्यवहार करते हैं शास्त्री व्यवहार करते हैं यदि ऐसे जातियों के हाथ में अन्य लक्षण भी शुभ हो तो ऐसे जातक मंत्री पद पर भी आसीन होते हैं

2. शनि पर्वत पर त्रिभुज का चिन्ह

1.जिन जातकों के शनि पर्वत पर स्पष्ट निर्दोष त्रिभुज का चिन्ह पाया जाता है वह जाता है कुशल ज्योतिषी होते हैं तंत्र मंत्र में दक्ष होते हैं तंत्र मंत्र के ज्ञाता होते हैं यदि है चिन्ह निर्दोष हो तो यह फल प्राप्त होता है किंतु यदि यह चिन्ह दोषपूर्ण हो तो ऐसे जातक उच्च ठग होते हैं

3. यदि स्पष्ट निर्दोष त्रिभुज का चिन्ह सूर्य पर्वत पर हो तो

जिन जातकों के स्पष्ट निर्दोष त्रिभुज का चिन्ह सूर्य पर्वत पर हो तो यह जातक ख्याति प्राप्त करते हैं इनको उच्च पद प्राप्त होने के पश्चात भी ख्याति प्राप्त होने के पश्चात भी यह स्वयं पर घमंड नहीं करते हैं यह स्वयं पर अभिमान नहीं करते हैं
यह लोग अपनी बुद्धि और कला के दम पर विश्व में विख्यात होते हैं
 यह लोग अपनी बुद्धि और कला का उपयोग व्यवहारिकता से करते हैं
 इन्हीं अच्छी आदतों के कारण इन जातियों को विश्व स्तरीय ख्याति प्राप्त होती है
 जिन लोगों के हाथ में यह चिन्ह होता है वह बहुत प्रसिद्ध होते हैं
4. बुध पर्वत पर त्रिभुज का चिन्ह
 जिन जातकों के बुध पर्वत पर अस्पष्ट निर्दोष त्रिभुज का चिन्ह हो वह जातक कुशल राजनीतिज्ञ होते हैं
 जिन जातकों के बुध पर्वत के ऊपर त्रिभुज का चिन्ह हो वह स्पष्ट हो तो ऐसे व्यक्ति कुशल व्यापारी होते हैं उच्च पदासीन वैज्ञानिक होते हैं
 तथा इनका व्यापार देश विदेश में फैलता है यह जातक दूसरों की कमजोरियों को बहुत ही आसानी से समझ जाते हैं
 यशस्वी होते हैं विद्वान तथा साहसी संतोषी और दृढ़ निश्चय एवं आत्मविश्वासी एवं श्रेष्ठ बुद्धि के ज्ञाता होते हैं
 इन जातकों में लोगों को प्रभावित करने की आकर्षण शक्ति होती है इन लोगों को शत्रुओं से खतरा भी रहता है


5. शुक्र पर्वत पर त्रिभुज का चिन्ह

 जिन जातकों के शुक्र पर्वत पर स्पष्ट निर्दोष त्रिभुज का चिन्ह पाया जाता है ऐसे जातक सरल स्वभाव के होते हैं
 यह लोग प्रेम आदि के मामले में सोच समझकर सूझबूझ से गंभीरता से निर्णय लेते हैं
इन जातकों का प्रेम संबंध संयमित होता है यह लोग संगीत कला नृत्य आदि में रूचि रखने वाले होते हैं
 यदि इन जातियों के हाथ पर शुक्र पर्वत पर त्रिभुज का चिन्ह दूषित हो तो ऐसे जातक कामवासना में ही लिप्त रहते हैं

6. चंद्र पर्वत पर त्रिभुज का चिन्ह

जिन जातकों के चंद्र पर्वत पर स्पष्ट निर्दोष  चिन्ह पाया जाता है ऐसे जातक विदेश यात्राएं करते हैं तथा विदेश यात्राओं से बहुत धन अर्जित करते हैं

7. मंगल पर्वत पर त्रिभुज का चिन्ह

 जिन जातकों के मंगल पर्वत पर स्पष्ट निर्दोष त्रिभुज का चिन्ह हो वह जातक वीर होते हैं तथा  वीरता के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्राप्त करते हैं यह जातक धैर्यवान होते हैं सहनशील होते हैं तथा बुद्धिमान होते हैं
 यह जातक दृढ़निश्चई होते हैं यह जातक हमेशा उन्नति प्राप्त करने वाले होते हैं और यह आशावादी होते हैं

History Of hast rekha सम्पूर्ण हस्त रेखा शास्त्र का उद्गम और विकास

प्राचीन काल से ही मनुष्य अपने जीवन में होने वाली घटनाओं को जानने के प्रति उत्सुक रहा है|
ज्योतिष शास्त्र के द्वारा मनुष्य के जीवन में होने वाली शुभ अशुभ घटनाओं की जानकारी प्रदान की जा सकती है |
आज हम बात करेंगे ज्योतिष के ही अंग हस्तरेखा शास्त्र के बारे में हस्तरेखा परीक्षण के द्वारा परीक्षण करके किस प्रकार से व्यक्ति का भविष्य कथन कहा जा सकता है | बहुत से जातियों के पश्चात अपना जन्म समय डेट ऑफ बर्थ नहीं होती है| तो उस स्थिति में वह अपना भविष्य किस प्रकार से ज्ञात करें यह वह सोचते हैं , तो हस्तरेखा शास्त्र भी एक ऐसा उपाय है जिसके द्वारा मनुष्य अपने जीवन में भूत भविष्य वर्तमान में होने वाली घटनाओं के बारे में जान सकता है|  ज्योतिष शास्त्री हस्तरेखा शास्त्री व्यक्ति के हस्त का परीक्षण करके उसके भविष्य में होने वाले भूत भविष्य वर्तमान में होने वाली घटनाओं की जानकारी प्रदान कर सकता है|
हस्तरेखा सामुद्रिक शास्त्र का ही एक अंग है सामुद्रिक शास्त्र के द्वारा व्यक्ति के संपूर्ण शरीर का निरीक्षण करके उसके भूत भविष्य वर्तमान की जानकारी प्रदान की जाती है अर्थात व्यक्ति के ललाट मुख्य नाक नक्शा संपूर्ण शरीर हाथ-पैर इन सभी को देखकर चाल-ढाल को देखकर परीक्षक व्यक्ति के भविष्य के बारे में कथन कह सकता भविष्यफल कहता है|
उसी प्रकार हस्तरेखा शास्त्री जातक की हथेली का परीक्षण करके जातक के मन में उठने वाले सभी सवालों का जवाब हाथ की हथेली का निरीक्षण कर कर ही कर सकता है उसके भूत भविष्य वर्तमान का फलकथन कहता है
अब हम बात करते हैं हस्तरेखा शास्त्र के इतिहास के बारे में
हस्तरेखा शास्त्र स्वास्थ्य के बारे में दो मध्य
  प्रचलित है
1. प्रथम भारतीय मत
2. द्वितीय ग्रीक मत
1.. भारतीय मत के अनुसार हस्त रेखा का जन्म भारतवर्ष में हुआ भारतीय विद्वानों के अनुसार प्राचीन काल में महर्षि वाल्मीकि के द्वारा हस्तरेखा शास्त्र पर पुस्तक लिखी,
भारतीय ज्योतिष शास्त्री होने के अनुसार ज्योतिष विज्ञान की भांति सामुद्रिक विज्ञान का उद्गम स्थान भी भारतवर्ष को ही माना जाता है भारतीय ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार शास्त्रों वर्षों पूर्व भारतीय मनीष जी ऋषि व्यास जी श्री सूर्य बृबु अत्री कश्यप वात्सायन भारद्वाज कात्यायन आदिऋषियों ने लोक कल्याण के लिए इस विद्या का प्रचार प्रसार किया श्रीमद् वाल्मीकि रामायण महाभारत स्कंद पुराण ऑडियो में इस ग्रंथ का वर्णन मिलता है कहा जाता है कि प्राचीन काल में समुद्र नाम के ऋषि इस विद्या के प्रकांड विद्वान हुए उन्होंने इस शास्त्र का लोक कल्याण के लिए अधिकाधिक व्यापक प्रचार प्रसार किया जिसके फलस्वरुप इस शास्त्र का नाम सामुद्रिक शास्त्र रखा गया भारतीय मान्यता मान्यता अनुसार इस देश पर विदेशियों का आक्रमण हुआ जिस के दुष्प्रभाव स्वरूप भारत का साहित्य भंडार शिन्हुआ और सामुद्रिक विद्या भी उससे अछूती नहीं रही भारतीय विद्वानों की मान्यतानुसार 5000 वर्ष पूर्व इस विद्या का आदान प्रदान भारतवर्ष से बाहर हुआ ग्रीस रोम चीन आदि देशों में इस विद्या का पदार्पण हुआ प्रचार-प्रसार हुआ वहां से चल कर यह विद्या यूरोप तथा विश्व के अन्य भागों में फैली इस प्रकार से यह विद्या संपूर्ण विश्व में फैल चुकी थी आधुनिक मान्यता अनुसार हस्तरेखा शास्त्र का स्वरूप है वह पाश्चात्य स्वरूप कहलाता है उसे पाश्चात्य विद्वानों की देन भी कहा जाता है यह भारतवर्ष के लिए प्रसन्नता का विषय है कि उसकी विद्या संपूर्ण विश्व के कल्याण के लिए काम आ रही है अतः इस विद्या का जन्म स्थान भारतवर्ष ही माना जाना चाहिए यह मेरा मत है


2.
पाश्चात्य विद्वानों के अनुसार हस्तरेखा शास्त्र का जन्म ग्रीस में 348 से 322 ईसापूर्व के मध्य में हुआ प्राचीन मान्यता अनुसार अरस्तु को 384 -322 ईशापुर में ग्रीस के देवता हमें इसके ग्रंथ में प्राप्त माना जाता है|
 जिसे सिकंदर महान को भेंट किया गया था सिकंदर महान की रुचि इस कला में गहरी थी और उन्होंने अपने अधिकारियों के द्वारा हस्तरेखा शास्त्र का अपने विद्वानों के द्वारा विश्लेषण किया हिप्पोक्रेटस ने अपने रोगियों के रोग निदान के लिए इस विद्या का प्रयोग किया यह विद्या भारत तिब्बत चीन फारस मिश्र और ग्रीस यूरोप के अन्य देशों में इस विद्या का प्रचार-प्रसार हुआ पाश्चात्य मत के अनुसार कहीं प्राचीन समुदाय तिब्बती मिश्र फर्जी होने इस विद्या के लिए अपना उल्लेखनीय योगदान दिया |

|| लाखों मेसे किसी एक हाथ में मिलता हैं यह चिन्ह || hast rekha gyan in h...

|| हथेली में बृहद त्रिकोण"(triangle) का फल || hand reading in hindi

VIDES YATRA

                                                          YATRA REKHA






YATRA REKHA DVARA  
1. Des vides ki sear 
2. vyavsy vyapar keliye yata
3. manoranjan ke lie yatra
                                yatra reka ke dwara ukt stano ka pata kiya jata hai
              vo isthan niman hai
1.chandra ksetra par khadi rekha 
2. maniband se nikal kar hateli ki or jane wali rekhase 
3. jiivan rekha se chandra ksetra par jane wali rekha ke dwara



(1) chandra ksetra par khadi rekhao se yatra ka gyan kese kare aaiye jante hai 

1. chandra parvat par istit khadi rrekhao ke dwara samudra pariiy arthat vides yatra ka gyan karna chahiye 
    1: chandra ksetra par isthit choti-choti rekhao ke dwra choti yatra ka arthat kam samay ki yatra tatha badi rekhao ke dwara badi yatra arthat adhik samay ki yatra  ka gyan karna chahiye.
    2; yadi chandra ksetra se nikli yatra rekha bhagya rekha me jakr milti hoto jatak ko dhan or man saman prapt hota hai.
  3; kintu yadi yatra rekha ghahari thata choti ho or bhagya rekha se bhi mel nhi kar rahi ho to jatak yatra to karega kintu us yatra ka uske jivan par vises prabav nhi padega .

 4;  yadi ek yatra rekha dusri yatra rekha ko kati hoto vyakti ko ek hi yatra ke karan do bar vides yatra karni padti hai.
 5;  yadi yatra rekha par dvip ya bindu ka chinha ho to jatak ko yatra me kast or dukho ka samna karna padta hai. 
 6; yadi chandra ksetra ke pass jal ka chinha ho to yatra me sankat aata hai.
 7; yadi chanra se yatra rekhaye alag- alag parvato par jaye to jatak ko us parvat arthat us grah ke guno ke anusar fal prapt hota hai.
 exampal;== yadichandra se nikal kar yatra rekha surya parvat ki tharf ya parvat par jati hoto jatak ko kisi kala ke ksetra meantraratriy khayati prapt hoti hai ththa vides me prathista man samman prapt hota hai.



(2 )Mnibad se yatra rekha

  1;  pratham maniband rekha  se nikal kr yatra rekha arthad vides rekha chandra ksetra par jati hai to     us jatak ko subh fal dai hoti hai.
 2; yahi yatra rekha agar sukra parvat par jati ho to vides mehi use stri shukh prapt hota hai.
 3;or yadi maniband se nikal kar yatra  rekha bhudh mount par jaye to bhahut matra me dhan ththa yash prapt hota hai. 
us ka yash kirti charo or felti hai
 4; or yadi maniband se nikal kar yatra rekha guru parvat par jati ho to yas prapt hota hai | usee vidhaya se sambandit kisi ksatra me yash prapt hota hai thatha ucha pad ardhat bada sthan prapt hota hai. 

(3) jiivan rekha se chandra parvat par aane vali rekhaye

1; yadi kisi jatak ke hath me jivan rekha se nikal kar rekha chnadra mount par aaye to us jatak ko apna janma sthan chodkar videsh me basna padta hai'
2; us vyakti ka vyavsay arthat vyapar ththa jiivika bhi janma sthan se durr hi hoti hai
3; esi rekhao vale jatak pardesh mehi aapna sampurna jiivan vyatit karte hai or bhagya dhan aadi bhahut matra me ya grah sthithi ke anusar prapt karte hai.

haath ke rang ke dvaara bhavishy kathan

                                
haath ke rang ke dvaara bhavishy kathan
हाथ के रंग के द्वारा भविष्य कथन


Hath ke rang

हाथ का रंग व्यक्ति के मन और स्वास्थ्य को  प्रभावित करता है |

पिले रंग की हथेली = 
पिले रंग की हथेली वाले व्यक्ति  (1) सुस्त (2) चिडचिडे (3) निराशाजनक (4)एवं मौसम मैं शीघ्र प्रभावित होनेवाले होते हैं
2= (1) उत्साह 
(2) उमंग की कमी  और खास लेनादेना नहीं होता 
3= बात बात पर नाराज होना इनकी आदत होती हैं |

सफ़ेद हथेली
यह खून की कमी दर्शाति है |
इन में रक्त संचालन ठीक से नहीं होता |
इस त्तथ्य को मैडिकल साइन्स भी प्रमाणित करता है 

(1)   यह व्यक्ति किसी कोभी प्रभावित करने में असमर्थ रहते हैं |
(2)  यह स्वप्न में विचरण करने वाले होते हैं |
(3)  इनकी प्रव्रित्ति और प्रव्रित्ति स्वार्थी और लालची होती है |

लाल रंग कि हथेली 
(1)   पिले रंग की हथेली वाले व्यक्ति  सुद्रीड शरीर के मालिक होते है |
(2)  यह शरीर से शक्तिशाली होते है |
(3)    यह अनुशासन प्रिय होते है |
(4)   चरित्रवान होते है |
(5)  यह संघर्षशील होते है | अपने जीवन में आने वाली समस्त समस्याओं का सामना करते हुए जीत हासिल करते है |

(6)   यह स्वभाव से उपद्रवी होते हैं |
(7) यह मन से चंचल होते है |
(8) यह प्रक्ररति प्रेमी और परिश्रम पुर्ण कार्यों में दक्ष होते है |
(9) यह खेलकूद में बडचड कर हिस्सा लेने वाले होते है |
(10) एसे व्यक्ति कभी कभी मिथ्यावादी या मिथ्याभिमानी भी होते है |

नाेट- यदी हथेली पर अन्य चिन्ह भी शुभ होतो ये व्यक्ति 
(1) युद्ध प्रवीण होते है 
(2) यह युद्ध कोशल मे दक्ष होते है |
(3)यह द्रीडनिश्चयी होते है |
(4) यह उत्तम सैनिक होते है |
(5) यह हर बात पर पकड रखने वाले होते है |
तथा सामाजिक कार्यों में सफलता प्राप्त करते है |
अतः हस्त परीक्षण करते समय हाथ के रंगों की अपेक्षा नही करनि चाहिये |

Thursday 15 June 2017

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