Monday 26 February 2018

जीवन रेखा life line

                           जीवन रेखा { life line }
life line
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1:- जीवन रेखा को पितृ रेखा ,गोत्र रेखा , कुल रेखा भी कहा जाता है।

2:-यह रेखा तर्जनी पता अंगूठे के बीच के क्षेत्र से आरंभ होकर शुक्र क्षेत्र को गिरती हुई मणिबंध तक जाती है।

3:- जीवन रेखा से आयु जीवन में होने वाली दुर्घटनाओं जीवन शक्ति भाग्योदय आदि का विचार किया जाता है ।

4:-यदि जीवन रेखा शुक्र क्षेत्र को पर्याप्त विस्तार का अवसर देती हुई आगे बढ़े तो जातक का स्वास्थ्य अच्छा रहता है ।

5:-क्योंकि शुक्र क्षेत्र उत्साह उत्तम स्वास्थ्य तथा प्रभावशाली व्यक्तित्व का प्रतिनिधित्व करता है ।



6:- यदि जीवन रेखा शुक्र क्षेत्र का विस्तार छोटा करती हुई आगे बढ़ जाए तो ऐसे जातकों का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है ।

7:-तथा जातक निराशावादी डरपोक भीरु स्वभाव तथा ठंडे स्वभाव के होते हैं यदि शुक्र क्षेत्र विस्तृत हो तो ऐसे जातक की कार्य क्षमता अच्छी होती है काम शक्ति तथा विपरीत लिंग के प्रति विशेष आकर्षण का स्वभाव आ जाता है ।

8:- शुक्र पर्वत का विस्तार अधिक होने से जातक अधिक काम ही स्वभाव का हो जाता है वह उचित तथा अनुचित का विचार छोड़कर स्वच्छंद योनाचार करता है तथा अन्य लक्षण अशुभ हो तो वह बीमारियों से भी ग्रसित हो जाता है इन लोगों को कई बार सामाजिक अपमान का भी सामना करना पड़ता है ।

9:-यदि शुक्र क्षेत्र विस्तृत तो ऐसे जातक जन्मजात भाग्यशाली होते हैं तथा पैतृक संपत्ति के स्वामी तथा माता पिता की समृद्धि का सुख भोगते हैं तथा कुलवान तथा लंबी आयु प्राप्त करते हैं।

10:-जीवन रेखा का आरंभ सामान्यता बृहस्पति और मंगल पर्वत के मध्य से होता है यह स्थिति शुभ और संतुलित मानसिकता एवं शारीरिक शक्ति की परिचायक है।

11:- बृहस्पति क्षेत्र से जीवन रेखा का आरंभ हो तो जातक स्वभाव से जन्मजात उच्च आकांक्षाएं की प्रवृत्ति लेकर आता है यह अपनी लगन के पक्के होते हैं यह जिस कार्य में हाथ डालते वह कार्य पूर्ण कर कर ही छोड़ते हैं।

12:- निम्न मंगल क्षेत्र से यदि जीवन रेखा का प्रारंभ होता है तो यह स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है ऐसे जातक का जीवन संघर्षशील तथा विषम परिस्थितियों से घिरा हुआ रहता है निर्मल स्वास्थ्य तथा जीवन में परेशानियां आती रहती है ।

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Saturday 24 February 2018

Which hand is to be seen कौन सा हाथ देखा जाए

         Which hand is to be seen    
कौन सा हाथ देखा जाए

Which hand is to be seen


हस्य परीक्षण से पूर्व मन में यह प्रश्न उठता है कि स्त्री का कौन सा हाथ देखा जाए तथा पुरुष का कौन सा हाथ देखा जाए


1:= इस संबंध में देशी तथा विदेशी विद्वानों के भिन्न-भिन्न मध्य हैं सामान्यता वयस्क पुरुषों का दाया हाथ तथा स्त्रियों का बाया हाथ देखा जाना चाहिए जो पुरुष लिखने-पढ़ने भोजन करने आदि में अपने बाएं हाथ का प्रयोग करते हैं तो उनके बाएं हाथ का ही परीक्षण करना चाहिए


2. तथा जो स्त्रियां स्वावलंबी है  अर्थात जो स्त्रियां पुरुषों के भाँति नौकरी-व्यवसाय आदि से धनोपार्जन करती है या राजनीतिक सामाजिक अथवा धार्मिक सार्वजनिक क्षेत्रों में पुरुषों की भांति कार्य करती हूं उनके भी दाएं हाथ का ही परीक्षण करना चाहिए


3. जो पुरुष नौकरी नहीं करते हो धनोपार्जन नहीं करते हो दूसरे पर आश्रित हो या उनका व्यवहार स्त्री के भाँति हो अर्थात स्त्रियोचित व्यवहार करते हो या डरपोक स्वभाव के हो पराधीन हो उनके बाएं हाथ का परीक्षण करना चाहिए



4.  14 वर्ष तक की आयु के बालक का भी बाँया हाथ ही देखना चाहिए
तथा 14 वर्ष तक की  आयु कि बालिका का भी बाँया हाथ ही देखना चाहिए


5.  हस्त परीक्षा करते समय सामान्यतः जातक के दोनों ही हाथों का परीक्षण करना चाहिए जो लक्षण दोनों हाथों में समान रूप से मिलते हो उन्हें निर्णायक समझना चाहिए तथा जो लक्षण जातक के दोनों हाथों में अलग-अलग हो तो उनका परिणाम संशय पूर्ण मानकर दोनों के निष्कर्ष रूप में जो उचित फल समझ में आए वह कहना चाहिए


6. कुछ विद्वानों के मत के अनुसार पुरुष के दाएं हाथ से उसके व्यक्तित्व उसके स्वभाव चरित्र तथा भूत भविष्य वर्तमान आदि का हाल प्राप्त किया जाता है तथा बाएं हाथ से उसकी पत्नी के व्यक्तित्व स्वभाव चरित्र आदि की जानकारी प्राप्त की जाती है


7.  इसी प्रकार स्त्री के बाएं हाथ से उसके अपने तथा दाएं हाथ से उसके पति के विषय में अनुमान लगाया जाता है
दायां हाथ पुरुष के वर्तमान जन्म तथा बाया हाथ पूर्व जन्म के भाग्य तथा कर्मों का साक्षी होता है इसी प्रकार स्त्री का बायां हाथ उसके वर्तमान जन्म तथा दायां हाथ उसके पूर्व जन्म के भाग्य का प्रतीक माना जाता है


8.अतः इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि गृहणी  स्त्री का बायां हाथ तथा कामकाजी स्त्री का दायां हाथ देखा जाना चाहिए
तथा पुरुष का दायां हाथ देखा जाना चाहिए


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