जीवन रेखा { life line }
life line |
1:- जीवन रेखा को पितृ रेखा ,गोत्र रेखा , कुल रेखा भी कहा जाता है।
2:-यह रेखा तर्जनी पता अंगूठे के बीच के क्षेत्र से आरंभ होकर शुक्र क्षेत्र को गिरती हुई मणिबंध तक जाती है।
3:- जीवन रेखा से आयु जीवन में होने वाली दुर्घटनाओं जीवन शक्ति भाग्योदय आदि का विचार किया जाता है ।
4:-यदि जीवन रेखा शुक्र क्षेत्र को पर्याप्त विस्तार का अवसर देती हुई आगे बढ़े तो जातक का स्वास्थ्य अच्छा रहता है ।
5:-क्योंकि शुक्र क्षेत्र उत्साह उत्तम स्वास्थ्य तथा प्रभावशाली व्यक्तित्व का प्रतिनिधित्व करता है ।
6:- यदि जीवन रेखा शुक्र क्षेत्र का विस्तार छोटा करती हुई आगे बढ़ जाए तो ऐसे जातकों का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है ।
7:-तथा जातक निराशावादी डरपोक भीरु स्वभाव तथा ठंडे स्वभाव के होते हैं यदि शुक्र क्षेत्र विस्तृत हो तो ऐसे जातक की कार्य क्षमता अच्छी होती है काम शक्ति तथा विपरीत लिंग के प्रति विशेष आकर्षण का स्वभाव आ जाता है ।
8:- शुक्र पर्वत का विस्तार अधिक होने से जातक अधिक काम ही स्वभाव का हो जाता है वह उचित तथा अनुचित का विचार छोड़कर स्वच्छंद योनाचार करता है तथा अन्य लक्षण अशुभ हो तो वह बीमारियों से भी ग्रसित हो जाता है इन लोगों को कई बार सामाजिक अपमान का भी सामना करना पड़ता है ।
9:-यदि शुक्र क्षेत्र विस्तृत तो ऐसे जातक जन्मजात भाग्यशाली होते हैं तथा पैतृक संपत्ति के स्वामी तथा माता पिता की समृद्धि का सुख भोगते हैं तथा कुलवान तथा लंबी आयु प्राप्त करते हैं।
10:-जीवन रेखा का आरंभ सामान्यता बृहस्पति और मंगल पर्वत के मध्य से होता है यह स्थिति शुभ और संतुलित मानसिकता एवं शारीरिक शक्ति की परिचायक है।
11:- बृहस्पति क्षेत्र से जीवन रेखा का आरंभ हो तो जातक स्वभाव से जन्मजात उच्च आकांक्षाएं की प्रवृत्ति लेकर आता है यह अपनी लगन के पक्के होते हैं यह जिस कार्य में हाथ डालते वह कार्य पूर्ण कर कर ही छोड़ते हैं।
12:- निम्न मंगल क्षेत्र से यदि जीवन रेखा का प्रारंभ होता है तो यह स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है ऐसे जातक का जीवन संघर्षशील तथा विषम परिस्थितियों से घिरा हुआ रहता है निर्मल स्वास्थ्य तथा जीवन में परेशानियां आती रहती है ।
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