सूर्य उच्च-नीच ,शुभ-अशुभमीत्र-अमीत्र फल
अथ सूर्यस्य उच्चनीचस्वक्षेत्रमित्रामित्रमाह | तुंगोऽजस्तौलिनीचो गहनचरपतिः पद्मनीप्राणपालः शत्रू दैत्येज्यमंदौ शशिधरतनयौ यस्य सामान्यभावः ।
शेषा मित्राणि खेटा उपचयशुभगो मध्यमः कोशकोण केंद्रे दुष्टोऽतिदुष्टो व्ययगजभवने कीर्तितः कोविदोच्चैः ॥
सूर्य मेषका उच्च और तुलाका नीच कहाता है और सिंहराशिका स्वामी है । यह शुक्र शनैश्चरसे शत्रुता रखता है, बुधसे सामान्य प्रीति करता है और चंद्रमा, मंगल, बृहस्पति से मित्रभाव रखता है। सूर्य, तीसरे छठे, दशवे, ग्यारहवें इन स्थानोंमें स्थित शुभ फल देता है, द्वितीय, पंचम, नव ममें स्थित मध्यम फल देता है, लग्न, चतुर्थ, सप्तम, दशममें स्थित दुष्ट फल देता है और अष्टम, चतुर्थमें स्थित अतिदुष्ट फल देता है ॥
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