वास्तु शास्त्र में रसोईघर की आंतरिक व्यवस्था के 13 अचूक उपाय
हिन्दू धर्म में रसोईघर को अन्नपूर्णा का वास माना जाता है। इसलिए न केवल इसकी पवित्रता बल्कि घर में इसकी सही स्थिति और दिशा में होना जरुरी है। वास्तुशास्त्र की दृष्टि से नए या पुराने घरों में रसोई घर की स्थिति ठीक न होने पर अनेक अशुभ फल देखने को मिलते हैं। जैसे धनहानि, दिवालियापन , स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं, पेट में गड़बडी, परिवार में कलह जैसे नकारात्मक प्रभाव होते हैं।
1.मकान में रसोई या किचन किस जगह और स्थिति में होना चाहिए -
2. वास्तु शास्त्र की दृष्टि से मकान में रसोईघर का दक्षिण-पूर्व दिशा [आग्नेय ] में होना बहुत शुभ होता है
3.किचन में सूर्य की रोशनी सबसे ज्यादा आए। इस बात का हमेशा ध्यान रखें। किचन की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि इससे सकारात्मक [पॉजिटिव एनर्जी] उर्जा आती है।
4.किचन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा प्लेटफार्म हमेशा पूर्व में होना चाहिए और ईशान कोण में सिंक व अग्नि कोण चूल्हा लगाना चाहिए।
5 . किचन के रंग का चयन करते समय भी विशेष ध्यान रखें। महिलाओं की कुंडली के आधार पर रंग का चयन करना चाहिए। अगर गृहस्वामिनी मकर लग्न की है तो शुक्र ग्रह परम योगकारी ग्रह होने से सफेद रंग लाभदायक हो जाता है ।
6. किचन में ग्रेनाईट का उपयोग नही करना चाहिए क्योंकि ग्रेनाईट चमकीला होने की वजह से एक प्रकार से दर्पण के समान कार्य करता है और किचन में उत्पन्न होने वाली अग्नि को रिफ्लेक्ट करता है जिसकी वजह से गृहस्वामिनी का स्वास्थ खराब रहता है
7. सिंक और चूल्हे के उपर लॉफ्ट या दुछत्ती नही होनी चाहिए
8. ओवन,मिक्सी और बिजली से चलने वाले उपकरण को किचन के दक्षिण में स्थित प्लेटफार्म में रखना चाहिए
9. किचन में हल्का सामान उत्तर और पूर्व में रखना चाहिए
10. किचन में भारी सामान दक्षिण और पश्चिम में रखना चाहिए
11.किचन में फ्रिज वायव्य या दक्षिण में रखना चाहिए
12 . किचन में पूजा स्थान बनाना शुभ नहीं होता। जिस घर में किचन के अंदर ही पूजा का स्थान होता है, उसमें रहने वाले गरम दिमाग के होते हैं।
13 .अगर सिंक एवं चूल्हा पास-पास रखे हों और उन्हें अलग जगह हटाना सम्भव न हो तो मध्य में एक छोटा सा पार्टीशन करके पानी और आग को दूर दूर करना चाहिए।
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